कागज की किस्मत

कलम हाथ में थी
और
गजल सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी
दिल और दिमाग 
लगा रहे थे शब्दों के भँवर में डुबकियाँ
कमबख्त
कागज की किस्मत हो कोरी थी