आई हो कत्ल करके किसी बेगुनाह का

कुछ तो है काम खूनी तेरी निगाह का 
शमशान सा क्योँ अक्स तेरे दरगाह का 
आईना कह रहा है आज चीख चीखकर 
आई हो कत्ल करके किसी बेगुनाह का