दोहे

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जहाँ कहीं भी हो अगर, सुन्दरता की बात।
सीरत आगे हुश्न की, फीकी है औकात॥

अगर बुरा देखो कहीं, मुँह पे रखना हाथ।
लाठी लेकर सत्य के, रहना हरदम साथ॥

चाँदी सा मुखड़ा मिला, सोने सा व्यवहार। 
माया के संसार में, मत जाना तू हार॥


आदत सी अब हो चली, छोटे कपड़े यार।
फैशन में भूले सभी, तन की ईज्जत यार॥

आओ मिलकर सब करें, सीरत का गुणगान।
प्रेम मुहब्बत को तभी, मिल पाये सम्मान॥