अक्सर भीड़ में हो जाता हुँ अकेला.
नजरेँ थक जाती है.
मन बेचैन हो उठता है.
फिर,
कोसता हुँ खुद को,
और भागता हुँ,
अकेलेपन की तरफ.
जहाँ,
बड़ी बेसब्री से,
इन्तजार कर रही होती है.
तुम्हारी यादें,
जो समेट लेती है,
मुझको.
मिट जाती है
तन्हाई
और नहीं रह पाता हुँ
अकेला
तुम्हारी यादें,
जो समेट लेती है,
मुझको.
मिट जाती है
तन्हाई
और नहीं रह पाता हुँ
अकेला