नहीं कहना चाहता मैं अलविदा दिल से।
तुम्हे नहीं कर सकता कभी भी जुदा दिल से।
बहुत कुछ खोया है तुम्हारे साथ चलकर, मगर उससे भी कहीं अधिक पाया उसका क्या।
कुछ रिश्ते युँही बिखर गए खुशबु की तरह, मगर कितने ही गहरे सम्बन्ध बने उसका क्या।
हे नववर्ष मुझे आपके स्वागत से ऐतराज नहीं।
मगर पुर्व प्रेमी को दिल में रखने से लाज नहीं।
मन व्याकुल बस यह सोच कर होता है।
किसी के आने से दिल क्यों किसी को खोता है।
तुम रहो खड़े बस द्वार पे ही,स्वागत का दीप जलाता हुँ।
विदा की अंतिम बेला में, मैं पिया से मिलकर आता हुँ।