बात कुछ भी ना हो पर बात होनी चाहिये।
रोज ही इक दफा मुलाकात होनी चाहिये॥
दो इश्क साथ हो या फिर रकीबों की जंग हो।
दोनों की एक सी हालात होनी चाहिये॥
यूँ ना गलियों में होकर के बेनकाब चलो।
चाँद देखे कोई तो रात होनी चाहिये॥
जात मजहब का मुबारक खुदा तुमको लेकिन।
आदमी की भी कोई जात होनी चाहिये॥
जन्मोत्सव में दारू की बोतल ना तोड़िये।
खुशी में "साधारण" सी बात होनी चाहिये॥
रोज ही इक दफा मुलाकात होनी चाहिये॥
दो इश्क साथ हो या फिर रकीबों की जंग हो।
दोनों की एक सी हालात होनी चाहिये॥
यूँ ना गलियों में होकर के बेनकाब चलो।
चाँद देखे कोई तो रात होनी चाहिये॥
जात मजहब का मुबारक खुदा तुमको लेकिन।
आदमी की भी कोई जात होनी चाहिये॥
जन्मोत्सव में दारू की बोतल ना तोड़िये।
खुशी में "साधारण" सी बात होनी चाहिये॥