जब कोई पुछता है
तुम मेरी कौन हो?
क्षणिक निःशब्द हो जाता हूँ
तीव्र गति से
कुछ चित्र
उभरने और मिटने की दौड़ में
जो वर्षों से अंकित
मेरे मानस पटल पर
हर्षोल्लास को नहीं खोने की कोशिश में
सरल आशामय
...
तुम मेरी कौन हो?
क्षणिक निःशब्द हो जाता हूँ
तीव्र गति से
कुछ चित्र
उभरने और मिटने की दौड़ में
जो वर्षों से अंकित
मेरे मानस पटल पर
हर्षोल्लास को नहीं खोने की कोशिश में
सरल आशामय
...
प्रेरक
जीवन तार को झँकृत करती हुई
मुझसे कहती
कि चुप ना रहो
और मैं
प्रेयसी
प्रियतमा
आदि कहकर बोझिल नहीं रह सकता
इसलिए
सीधे ही
अत्याधुनिक शब्दों में
कह देता हूँ
तुम मेरी 'लवर' हो
जीवन तार को झँकृत करती हुई
मुझसे कहती
कि चुप ना रहो
और मैं
प्रेयसी
प्रियतमा
आदि कहकर बोझिल नहीं रह सकता
इसलिए
सीधे ही
अत्याधुनिक शब्दों में
कह देता हूँ
तुम मेरी 'लवर' हो